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Dhirubhai Ambani Biography in Hindi Reliance Industries Founder

Dhirubhai Ambani Biography in Hindi Reliance Industries Founder

Dhirubhai Ambani Biography in Hindi. Dhirajlal Hirachand Ambani ज्यादातर Dhirubhai Ambani के नाम से जाने जाते हैं। इनकी ख्याति देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में फैली हुई हैं। Dhirubhai Ambani Business की दुनिया के बेताज बादशाह थे।

Dhirubhai Ambani का नाम उन कुछ BUSINESSMAN के List में नाम सुमार था जिन्होंने अपने दम पर सपने देखें और उन्हें हकीकत में बदल कर पूरी दुनिया के सामने यह साबित कर दिखाया कि अगर खुद पर कुछ करने का विश्वास हो, तो निश्चित ही सफलता आपकी कदम चूमती है ।

Dhirubhai Ambani का मानना था कि जो सपने देखने की हिम्मत करते हैं वह पूरी दुनिया को जीत सकते हैंDhirubhai Ambani दुनिया के ऐसे शख्सियत थे, जिन्होंने न सिर्फ Business की दुनिया में बड़ा नाम किया बल्कि India को एक उद्योग के क्षेत्र में एक नई पहचान दिलवाई।

एक गरीब खानदान में पैदा हुए Dhirubhai Ambani ने एक बड़े Businessman बनने के सपने देखे और अपने कठिन मेहनत के बल पर, उन्हें हकीकत में भी बदला, आइए जानते हैं भारत के सबसे सफल और बड़े Businessman, Dhirubhai Ambani के प्रेरणादायक जीवन से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में।

Dhirubhai Ambani Biography in Hindi Reliance Industries Founder

Dhirubhai Ambani का जन्म गुजरात के जूनागढ़ के पास एक छोटे से गांव CHAURAVAAD के एक साधारण शिक्षक के घर में 28 Dec 1932 को हुआ था । उनकी मां जमुना बेन एक घरेलू महिला थी और उनके पिता गोरधन अंबानी एक साधारण टीचर थे।

जिनके लिए अपने बड़े परिवार का लालन पालन करना काफी चुनौती पूर्ण था। वही उनकी नौकरी से घर खर्च के लिए पैसे पूरे नहीं पढ़ते थे। ऐसे में चार और भाई बहनों के बीच Dhirubhai Ambani का पढ़ाई करना काफी मुश्किल था।

ऐसी स्थिति में Dhirubhai Ambani को हाई स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ने पड़ी और अपने घर की कमजोर हालत को देखते हुए अपने परिवार का गुजारा करने के लिए, अपने पिता के साथ भजिया बेचने जैसे कुछ काम करना शुरू कर दिए।

Dhirubhai Ambani ने गुजरात के कोकिलाबेन से शादी की थी। जिनसे उन्हें दो बेटा और दो बेटीया हुए। बेटे के नाम हैं मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी और बेटियों के नाम हैं नीना अंबानी और दीप्ति अंबानी, Dhirubhai Ambani ने अपने घर की आर्थिक हालत को देखते हुए, सबसे पहले फल और नास्ता बेचने का काम शुरू किया।

लेकिन इसमें कुछ खास फायदा नहीं हो रहा था । इस के बाद गांव के पास एक धार्मिक और पर्यटक जगह पर पकौडे बेचना शुरू कर दिया। लेकिन वह काम वहां आने-जाने वाले पर्यटको के ऊपर पूरी तरह निर्भर था। जो कि साल में कुछ समय के लिए ही चलता था।

बाद में Dhirubhai Ambani को ये काम मजबूरन बंद करना पड़ा । वही किसी भी काम में सफल न होने की वजह से उन्होंने अपने पिता के सलाह पर एक नौकरी करना शुरू कर दी । तमाम असफलताएं मिलने के बाद Dhirubhai Ambani ने अपने बड़े भाई रामनिक कि मदद से यमन में नौकरी करने का फैसला किया।

उन्होंने सेल company के पेट्रोल पंप पर अपनी पहली नौकरी करें। करीब 2 साल तक नौकरी करने के बाद अपने कुशलता और योग्यता के बल पर मैनेजर के पद तक पहुंच गए। हालांकि वहां काम करने के दौरान ही वह हमेशा Business करने के अवसर तलाशते रहते थे ।

वे शुरुआत से ही Business करने का कोई मौका अपने हाथ से नहीं जाने देते थे। शायद उनका यही जुनून आगे चलकर उन्हें सफलता दिलाने वाला था। Dhirubhai Ambani के बिजनेस के प्रति उनके रुझान का अंदाजा उनके जीवन में घटीत घटना से लगाया जा सकता हैं।

जब वे सेल company के पैट्रॉल पंप पर रोजाना 300 रुपये प्रति महीने के हिसाब से नौकरी करते थे उस दौरान काम करने वाले कर्मचारीयो को चाय 25 पैसे में मिलती थी। लेकिन Dhirubhai Ambani वह चाय न खरीद कर एक बड़े Restaurant में जाकर 1 रुपए की चाय पीने जाते थे ।

वे ऐसा इसलिए करते थे कि वहां आने वाले बड़े -बड़े Business man की बाते वह सुन सके। Business के बारीकियों को उनसे समझ सके। इस तरह Dhirubhai Ambani ने अपने बड़े Business के सपने को पूरा करने के लिए अपने तरीके से Businesse Management की शिक्षा ग्रहण की। बाद में वे एक सफल बिजनेसमैन बनकर सामने आए।

इसके अलावा Dhirubhai Ambani के अंदर बड़े Business man बनने के योग्यता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जाता हैं कि उन्होंने यमन में प्रचलित चांदी के सिक्कों कि गलाई, लंदन के एक company में करनी शुरु कर दी, की चांदी के सिक्के का मूल्य, चादी से भी ज्यादा होता हैं। वही जब इस बात की खबर यमन सरकार को लगी तब तक Dhirubhai Ambani अच्छा खासा मुनाफा कमा चुके थे।

Dhirubhai Ambani ने अपने जीवन मे तमाम संघर्स को पार कर सफलता कि असीम उचाईयो को हासिल किया था। दरअसल Dhirubhai Ambani ने यमन में नौकरी कर रहे थे उसी दौरान यमन की आजादी के लिए आंदोलन की शुरुवात हो गई। हालात इतने बिगड़ गए थे कि यमन में रह रहे भारतीयो को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी । ऐसे में Dhirubhai Ambani ने अपनी नौकरी छोड़ भारत वापस आ गए।

BUSINESS MAN बनने के ख्वाब संजो रहे Dhirubhai Ambani ने, India में Business करने का फैसला कर लिया। हालांकि किसी भी Business को शुरू करने के लिए निवेश बहुत जरूरी होती हैं। पर Dhirubhai Ambani के पास Business शुरू करने के लिए पर्याप्त रकम नहीं थे ।

इस के बाद उन्होंने अपने चचेरे भाई के साथ मिलकर पॉलिएस्टर धागे और मसाले के इंपोर्ट एक्सपोर्ट की बिजनेस की शुरुआत की। इंपोर्ट एक्सपोर्ट का बिजनेस करते करते हुए उन्होंने 15000 /- की राशि के साथ रिलायंस कमर्शियल कारपोरेशन की शुरुआत मस्जिद बंदर की नरसिमा स्ट्रीट पर एक छोटे से office से करें और यहीं से Reliance Company का उदय हुआ ।

शुरुआती दौर में धीरूभाई अंबानी का इरादा पॉलिएस्टर यान को Import करने और मसाले export करने का था। इसकी के साथ मैं आप सभी को यह बात दू की, Reliance corporation का पहला office, Narsinathan street में बना था।

जो कि वह साडे सौ एसक्यूर फीट का एक कमरा था । इसमें एक टेलीफोन, एक टेबल और तीन कुर्सियां थी। शुरू में उनके पास केवल दो सह कर्मचारी थे और उनके काम में उनकी मदद करते थे। दरसअल धीरूभाई अंबानी और चंपकलाल दबानी दोनों का स्वभाव और बिजनेस करने का तरीका एक दूसरे से बिल्कुल अलग था।

इसी वजह से साल 1965 में धीरूभाई अंबानी ने चंपकलाल के साथ बिजनेस में पार्टनरशिप खत्म कर दी और अपने दम पर बिजनेस को आगे बढ़ाया। दरअसल चंपकलाल एक सतर्क व्यपारी थे और उन्होंने सूत बनाने के माल में कोई Interest नहीं था।

जबकि धीरूभाई अंबानी को रिस्क उठाने वाला व्यापारी माना जाता था। इसके बाद Dhirubhai Ambani ने अपने सूत के व्यापार में अपनी किस्मत आजमाएं और पॉजिटिव सोच के साथ अपनी Business की शुरुआत कर दी। Dhirubhai Ambani को पहले से माल की कीमत बढ़ने की उम्मीद थी और उससे उन्होंने जो मुनाफा कमाया उनके Business Growth के लिए काफी अच्छा था।

Dhirubhai Ambani को कपड़े के व्यापार की अच्छी खासी समझ हो गई थी। इस व्यपार में अच्छे मौके मिलने की वजह से उन्होंने 1966 में अहमदाबाद के नरोदा में एक बिजनेस मिल की शुरुआत कर दी। जहां पर कपड़े को बनाने में पोलिस्टर के धागे का इस्तेमाल हुआ।

फिर धीरूभाई अंबानी ने अपने Brand का नाम VIMAL रखा। आपको बता दु इस ब्रांड का नाम Vimal धीरूभाई अंबानी के बड़े भाई के बेटे Vimal Ambani के नाम पर रखा गया था। इस Brand को पूरे भारत में जमकर प्रचार प्रसार किया गया। वही धीरे धीरे Vimal brand भारत के छोटे-छोटे इलाकों में भी फ़ैल गया ।

सन् 1975 में विश्व बैंक की टेक्नीशियन टीम ने Reliance Textile के निर्माण का दौरा किया और उसे विकसित देशों के मनको से भी अच्छा बताया। फिर सन् 1980 के दशक में धीरूभाई अंबानी ने पॉलिएस्टर फिलामेंट यान का निर्माण करने का लाइसेंस सरकार से ले लिया और इसके बाद लगातार धीरूभाई अंबानी सफलता की सीढ़ी चढ़ते गए। और उन्होंने कभी अपने कैरियर में पीछे मुड़कर नहीं देखा।

INDIA में भी EQUITY CULT के शुरुआत करने का क्रेडिट Dhirubhai Ambani को ही जाता हैं।
आपको बता दु 1977 में जब Reliance ने IPO जारी किया था तब 58 हजार से ज्यादा निवेशको ने उनमे निवेश किया। धीरूभाई अंबानी गुजरात और दूसरे राज्यों के लोगों को हासिल करने में सफल रहे । जो उनकी Company के शेयर को खरीदेगा उसे अपनी निवेश पर खूब मुनाफा होगा।

दुनिया के जाने माने बिजनेसमैन धीरूभाई अंबानी ने अपनी जिंदगी में Reliance के कारोबार का विस्तार अलग-अलग क्षेत्रो में किया । आपको बता दु इसमे मुख्य रूप से PETROCHEMICALS, TELECOMMUNICATIONS,
INFORMATION TECHNOLOGY,
ENERGY,
ELECTRICITY,
RETAIL,
TEXTILE,
INFRASTRUCTURE SERVICES,
CAPITAL MARKETS,
LOGISTICS
भी शामिल हैं।

वहीं अब धीरू भाई अंबानी के दोनों बेटे नए मौके का पूरी तरह से इस्तेमाल कर रहे हैं। Reliance इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने के लिए । इसी तरह से धीरुभाई अंबानी ने महज चंद पैसों से इतनी विशाल Reliance इंडस्ट्री की शुरुआत करी थी।

एक कमरे से शुरू हुई इस कंपनी में साल 2012 तक करीब 85000 कर्मचारी काम कर रहे थे जबकि सेंट्रल गवर्नमेंट के पूरी टैक्स में से 5% tax Reliance देती थी। 2012 में संपत्ति के हिसाब से, दुनिया के 500 सबसे अमीर और विशाल कंपनी में Reliance को भी शामिल किया गया था।

इसके अलावा DDhirubhai Ambani को एशिया के TOP BUSINESS MAN के लिस्ट में शामिल किया जा चुका हैं। यह बात तो साफ है कि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए Dhirubhai Ambani ने काफी आलोचनाओं को भी झेला था।

उन पर अपनी जरूरत के हिसाब से सरकारी नीतियों को बदलवाने के भी आरोप लगे थे। यहां तक कि यह भी कहा गया था Competitors को सरकारी नीतियों के सहारे से मात दे दी गई थी। लेकिन धीरूभाई अंबानी के खिलाफ एक इल्जाम साबित ना हो सका और अपने लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ते रहें।

महान उद्योग Dhirubhai Ambani जी को 24 जून 2002 में हार्ड अटैक की वजह से मुंबई के एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया इसके बाद उनकी तबीयत लगातार खराब होती चली गई। 6 जुलाई 2002 में भारत के महान शख्सियत ने अंतिम सांस ली, उनकी मृत्यु के बाद उनके व्यापार को उनके बेटे मुकेश अंबानी ने बेहद कुशलतापूर्वक संभाला।

यही नहीं आज भी भारत के सबसे धनी और विश्व की सबसे सक्सेसफुल बिजनेसमैन के लिस्ट में शामिल हैं और मैं आपको बता देता हूं कि धीरुभाई अंबानी को कई बड़े-बड़े अवार्ड से सम्मानित किया गया था व्यापार और उद्योग के महत्वपूर्ण योगदान के लिए सन 2016 में भारत के उन्हें दूसरे सर्वोच्च नागरिक के पदम विभूषण सम्मान के साथ सम्मानित किया गया।

वही जिस तरह धीरूभाई अंबानी ने तमाम संघर्षों को झेलकर अपने जीवन में असीम सफलताएं हासिल कर ली और बाकी सभी के लिए एक मिसाल पेश की वाकई तारीफ के काबिल है।

Dhirubhai Ambani ने कहा है-

” सपने हमेशा बड़े होना चाहिए
प्रतिबद्धता हमेशा गहरी होनी चाहिए
और प्रयास हमेशा महान होनी चाहिए”


दोस्तों यह थी धीरूभाई अंबानी की कहानी Dhirubhai Ambani Biography in Hindi. यदि आपको यह कहानी अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

आप सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद।

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