लिमिटेड और प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में क्या अंतर है
लिमिटेड और प्राइवेट लिमिटेड में क्या अंतर है,प्राइवेट कंपनी और पब्लिक कंपनी में अंतर,pvt company or ltd company में अन्तर।
दोस्तों भारत में ऐसे तो काफी सारे बिजनेस और कंपनी चल रहे है। आम तौर पर हम देख सकते है हम उन कम्पनिओं को दो अलग अलग भागो में बांट सकते है। एक होता है लिमिटेड कंपनी और दूसरी होती है प्राइवेट लिमिटेड कंपनी। यह लिमिटेड कंपनी और प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में अक्सर काफी सारी समानता देखी जाती है। लेकिन उनके बीच में मूल रूप से काफी अंतर देखने को मिलता है। अगर आपको भी अभी तक लिमिटेड और प्राइवेट लिमिटेड में अंतर पता नही चल रहा है तो आपको इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ना चाहिए। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको लिमिटेड और प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के अंतर के बारे में बताएंगे। तो चलिए शुरू करते है।
लिमिटेड कंपनी क्या होता है? (Ltd कंपनी )
महत्वपूर्ण बिन्दू
लिमिटेड कंपनी की बात करे तो यह वो कंपनी होती है जो पब्लिक के पैसे से चलती है इसलिए इसको पब्लिक लिमिटेड कंपनी भी कहते है। लिमिटेड कंपनी अपने स्टॉक्स शेयर मार्केट के द्वारा लोगो को खरीदने के लिए दे देती है शेयर मार्किट के जरिये Ltd कंपनी पब्लिक से पैसा उठाती है। पब्लिक लिमिटेड कंपनी की बात करे तो यह भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 के आधार पर रजिस्टर्ड होती है। पब्लिक लिमिटेड कंपनी में कंपनी के सदस्यों की कोई तय सीमा नहीं होती है। कंपनी शेयर को खरीदने और बेचने के लिए पब्लिक को ही आमंत्रित करती है। इस तरह की कंपनी अपने खर्चे के लिए भी शेयर मार्केट में अपने स्टॉक्स को बेचकर ही पैसा लाती है। यह पब्लिक लिमिटेड कंपनी अपने आईपीओ के द्वारा पैसा बाजार से इन्वेस्टर से उठाती है।
सरल शब्दों में कहे तो दोस्तों पब्लिक ltd कंपनी बड़ी बड़ी कम्पनिओं होती है जहाँ हजारो लोग काम करते हैं। ltd कंपनी पब्लिक के पैसे से चलती है कम्पनी का शेयर पब्लिक के पास भी होता है इसलिए अगर कंपनी को फायदा या नुकसान होता है तो शेयर होल्डर को भी फायदा/नुकसान उठाना पडता है। इन कम्पनयों में किसी को भी मिलिकाना हक़ नहीं होता है।
example of Ltd कंपनी –
- Reliance Industries Limited
- tata motors ltd
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी क्या होती है?
यह प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में मालिकाना का पूरा अधिकतर हक 2 ही लोगो के पास होता है। इस तरह की कंपनी में सदस्यों की सीमा भी सीमित रहती है। अगर आपकी कंपनी एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है तो आप पैसा शेयर मार्केट से नही उठा सकते है। अगर आपकी कंपनी एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है तो यह आप पब्लिक इन्वेस्टर से पैसा नही उठा सकते है।
सरल शब्दों में कहे तो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी मालिक 2 लोग हो सकते हैं मतलब उनको ही पूरा पैसा कंपनी में लगाना होता है पब्लिक से पैसा नहीं उठा सकते है। अब फायदा/लॉस होगा तो मालिक को ही झेलना पड़ता है
example of private Ltd कंपनी –
- Flipkart Internet Pvt Ltd
- Swiggy a Pvt Ltd
अंतर | लिमिटेड कंपनी | पब्लिक लिमिटेड कंपनी |
परिभाषा | जो कंपनी पब्लिक के पैसे से चलती है तो वो लिमिटेड कंपनी होती है। | यह कंपनी जो प्राइवेट रूप से चलती है उन्हे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कहते है। |
मालिको की संख्या | 07 | 02 |
सदस्यों का नंबर | अनलिमिटेड | 200 |
डायरेक्टर की संख्या | 03 | 02 |
सफिक्स | लिमिटेड | प्राइवेट लिमिटेड |
बिजनेस की शुरुवात | इनकॉरपोरेशन का प्रमाण पत्र और व्यवसाय शुरू करने का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद। | इनकॉरपोरेशन का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद |
बोर्ड मेंबर | जरूरी है | कोई जरूरी नही है |
नियम बदल पर इनफॉर्म करना | अनिवार्य है | अनिवार्य नहीं है |
पब्लिक इन्वेस्टर का आना | मंजूर है | अनुमति ही नही है |
शेयरों का हस्तांतरण | मुक्त | वर्जित |
लिमिटेड और प्राइवेट लिमिटेड में महत्वपूर्ण अंतर
● परिभाषा के आधार पर
एक लिमिटेड कंपनी वो कम्पनी होती है जो किसी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होती है। जिसके बाद वो पब्लिक अपना कार्य करती है। वही प्राइवेट लिमिटेड की बात करे तो यह कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड नही होती है। इस कम्पनी को चलाने के लिए जो भी फंड होता है वो निजी तौर पर ही शुरू किया जाता है।
● सदस्यों के आधार पर
आपको अगर कोई लिमिटेड कंपनी शुरू करनी है तो आपके कंपनी में कम से कम 7 सदस्यों का होना अनिवार्य है। वही अगर आप कोई प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोल रहे है तो आपको कम से कम 2 सदस्य रखना ही होगा।
● कंपनी में सदस्यों की सीमा
किसी भी लिमिटेड कंपनी में सदस्यों की कोई भी सीमा नही होती है। वही किसी भी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में आप केवल 200 तक ही सदस्यों को जोड़ सकते है।
● डायरेक्टर की संख्या
किसी भी लिमिटेड कंपनी में डायरेक्टर की संख्या 3 होना अनिवार्य है। वही किसी भी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में डायरेक्टर की सीमा 2 हो सकती है।
● एजीएम के आधार पर
आपकी कंपनी अगर लिमिटेड कंपनी के तौर पर लिस्टेड है तो आपको अपने एजीएम मीटिंग में कम से कम पांच सदस्य को रखना होगा। वही प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की बात करे तो यह संख्या 2 भी रह सकती है।
● बिजनेस शुरू करने के आधार पर
अगर आपको अपनी कंपनी को लिमिटेड कंपनी के तौर पर रजिस्टर्ड करना है तो उसके लिए आपके पास इनकॉरपोरशन का सर्टिफिकेट और बिजनेस शुरू करने का प्रमाण पत्र होना जरूरी है। वही अगर आप प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोल रहे है तो आपके पास केवल इनकॉरपोरेशन का सर्टिफिकेट होना जरूरी है।
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के फायदे और नुकसान
प्राइवेट कंपनी के फायदे और नुकसान की बात करें तो दोस्तों एक एम्प्लॉय के नजरिये से कोई भी ज़्यदा फर्क नहीं पड़ता है प्राइवेट और पब्लिक कंपनी में। प्राइवेट कंपनी में फायदा और नुकसान मालिक को ही होता है।
- प्राइवेट कंपनी शुरू करने के लिए आपको मिनिमम 1 लाख रूपए की जरुरत होती है यह इसका फायदा है की आप कम पैसो में अपना बिज़नेस शरू कर सकते अपनी कंपनी खड़ी कर सकते हो।
- प्राइवेट कंपनी में ज़्यदा से ज़्यदा 200 एम्प्लॉय को रख सकते हो ये इसका नुकसान है इससे ज़्यदा आप एम्प्लॉय की संख्या नहीं बढ़ा सकते हो।
- प्राइवेट कंपनी को अगर पैसो की जरुरत पड़ती है तो पब्लिक से पैसा नहीं उठा सकती है कंपनी के मालिक को ही पैसे का जुगाड़ करना पड़ता है।
- अगर आप प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हो तो प्राइवेट कंपनी के अपने नियम होते हैं वे कभी भी आपको जॉब से निकाल सकते हैं वंही ltd कंपनी में ऐसा नहीं होता है सभी कार्य नियम कानून के हिसाब से ही होते हैं।
निष्कर्ष (final words )
दोस्तों इस पोस्ट में हमने जाना की private ltd कंपनी और public ltd कंपनी में क्या अंतर होता है उम्मीद है आपको सबकुछ समझ आ गया होगा। अगर आपके कोई सवाल है तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर टाइप करें।
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